Category: कवितायेँ

  • मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको

    मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको

    आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप कोमैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब करमर गई फुलिया बिचारी एक कुएँ में डूब कर है सधी सिर पर बिनौली कंडियों की टोकरीआ रही है सामने से हरखुआ की छोकरी चल रही है छंद के आयाम को देती दिशामैं…